तेजी से बढ़ते फूड मार्केट में, उपभोक्ता अब केवल स्वाद पर नहीं बल्कि “दिखावट” यानी पैकेजिंग पर भी नजर रखते हैं। खासकर इंस्टेंट फूड जैसे नूडल्स, रेडी-टू-ईट मील्स, स्नैक्स आदि की बात करें तो पैकेजिंग डिज़ाइन ही पहला इंप्रेशन बनाता है। हाल ही में FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) द्वारा पैकेजिंग लेबलिंग के नियमों में बदलाव आया है, जिससे ब्रांड्स को न केवल रचनात्मक दिखना है, बल्कि नियमों के अनुरूप भी रहना है। 2025 तक भारत में इंस्टेंट फूड सेगमेंट की ग्रोथ 7.5% CAGR तक पहुंचने की संभावना है, और सही पैकेजिंग डिज़ाइन इस ग्रोथ में अहम भूमिका निभा सकता है।
आज हम जानेंगे कि कैसे आप अपने इंस्टेंट फूड प्रोडक्ट के लिए एक आकर्षक, यूजर-फ्रेंडली और कॉम्प्लायंट पैकेजिंग डिज़ाइन तैयार कर सकते हैं, जो ना केवल ग्राहकों का ध्यान खींचे, बल्कि बिक्री और ब्रांड इमेज दोनों में सुधार लाए।
उपभोक्ता मनोविज्ञान और पैकेजिंग का कनेक्शन
जब बात इंस्टेंट फूड की हो, तो उपभोक्ता सबसे पहले प्रोडक्ट के पैकेज को देखकर ही निर्णय लेते हैं। रिसर्च बताता है कि 70% उपभोक्ता विजुअल अपील के आधार पर प्रोडक्ट को खरीदते हैं, खासकर जब विकल्प कई हो। इसलिए, आपका पैकेजिंग डिज़ाइन सिर्फ जानकारी देने वाला नहीं बल्कि ब्रांड की कहानी कहने वाला होना चाहिए।
आपका डिज़ाइन ऐसा होना चाहिए जो किसी कहानी को बयां करे – जैसे “घर जैसा स्वाद”, “5 मिनट में गर्म भोजन”, या “फार्म-फ्रेश सामग्री” जैसे विचार। इस तरह के संदेश उपभोक्ताओं को भावनात्मक स्तर पर जोड़ते हैं। इसके साथ ही, फॉन्ट, रंग संयोजन और इलस्ट्रेशन का सही इस्तेमाल ब्रांड को प्रीमियम फील देता है।
उपभोक्ता व्यवहार रिपोर्ट पढ़ें
कलर थ्योरी और पैकेजिंग में इसका इस्तेमाल
रंगों का प्रभाव हमारे अवचेतन मन पर होता है। इंस्टेंट फूड पैकेजिंग में लाल, नारंगी, और पीले रंग सबसे आम हैं क्योंकि ये भूख बढ़ाते हैं और ऊर्जा का संकेत देते हैं। लेकिन प्रीमियम लुक के लिए मैट फिनिश, गोल्ड एक्सेंट्स या न्यूट्रल टोन का उपयोग भी बहुत प्रभावी हो सकता है।
उदाहरण के लिए, अगर आपका प्रोडक्ट ऑर्गेनिक इंस्टेंट दलिया है, तो ग्रीन और earthy रंग उपयुक्त रहेंगे। वहीं, चटपटे स्नैक्स के लिए तेज रंग जैसे लाल और पीला सही रहते हैं। साथ ही, पैकेज के बैकग्राउंड और टेक्स्ट कलर में कंट्रास्ट जरूर रखें ताकि जानकारी स्पष्ट दिखे।
फॉर्म फैक्टर और यूजर एक्सपीरियंस
पैकेजिंग का केवल लुक ही नहीं, बल्कि उसका फॉर्म फैक्टर यानी उसका आकार, ओपनिंग मैकेनिज्म और स्टोरेज फ्रेंडली होना भी बहुत जरूरी है। आज की तेज़ लाइफस्टाइल में लोग ऐसे पैकेज पसंद करते हैं जो आसानी से खुल जाए, बार-बार सील किया जा सके, और माइक्रोवेव सेफ हो।
प्लास्टिक कंटेनर्स, स्टैंडअप पाउच, रीसाइकलबल पेपर बॉक्स – ये सब आजकल के ट्रेंड में हैं। आप अपने यूजर बेस की जरूरतों के हिसाब से सही पैकेजिंग फॉर्म चुनें। अगर आपका टारगेट वर्किंग प्रोफेशनल्स हैं, तो कॉम्पैक्ट और स्पिल-प्रूफ पैकेजिंग ज्यादा पसंद की जाएगी।
ब्रांड एलिमेंट्स और लेबलिंग कंप्लायंस
FSSAI के मुताबिक अब हर इंस्टेंट फूड पैकेज पर न्यूट्रिशन चार्ट, मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट, वेज/नॉन-वेज सिग्नल और एफएसएसएआई नंबर अनिवार्य हैं। इसके अलावा, हेल्थ क्लेम्स जैसे “कोलेस्ट्रॉल फ्री” को सपोर्टिंग डेटा के बिना लिखा नहीं जा सकता।
आपका लोगो, टैगलाइन, और ब्रांड टोन इन सबका एक समान रूप से प्रयोग जरूरी है ताकि ब्रांड की पहचान बनी रहे। ब्रांड यूनिफॉर्मिटी रखने से ग्राहक दोबारा खरीद के लिए प्रेरित होता है।
स्थायित्व और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी
जैसे-जैसे उपभोक्ताओं में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे sustainable पैकेजिंग की मांग भी बढ़ रही है। इंस्टेंट फूड ब्रांड्स अब बायोडिग्रेडेबल, कंपोस्टेबल या रीसाइकलबल मटेरियल की ओर बढ़ रहे हैं।
आप अपने प्रोडक्ट के पैकेज पर ‘Eco Friendly’, ‘Plastic Neutral’ या ‘100% Compostable’ जैसे बैज दिखा सकते हैं, लेकिन केवल तभी जब वो प्रमाणिक हों। इससे ब्रांड की विश्वसनीयता बढ़ती है और ग्राहकों को पर्यावरण के प्रति आपकी जिम्मेदारी का एहसास होता है।
प्रतियोगिता से अलग कैसे दिखें: क्रिएटिव स्टोरीटेलिंग
इंस्टेंट फूड पैकेजिंग में अब ‘कंटेंट’ ही नया डिज़ाइन है। आप QR कोड के जरिए उपभोक्ताओं को किचन से जुड़ी कहानियों, रेसिपी वीडियो या किसानों की स्टोरी तक जोड़ सकते हैं। इससे यूजर का जुड़ाव बढ़ता है और CTR भी।
अपना पैकेज यूजर का माइक्रो-मोमेंट कैप्चर करे, जैसे “घर जाने की जल्दी है? सिर्फ 2 मिनट!” या “बच्चों का फेवरिट स्नैक अब हेल्दी भी!” जैसे टेक्स्ट भी बहुत प्रभावशाली होते हैं
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